Friday 13 April 2018

Shauripur jain mandir bateshwar agra

Shauripur Jain mandir  :एक भूली हुई विरासत सॉरी पुर जैन मंदिर एक अंजाना सा नाम है सॉरी पुर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक प्रसिद्ध तीर्थ भगवान बटेश्वर नाथ मंदिर से 3 किलोमीटर अंदर जंगल में बना हुआ है। सॉरी पुर जैन मंदिर जंगली क्षेत्र के अंदर होने की वजह से वहां लोग कम ही जाते हैं सुना था कि वहां नंगे बाबा रहते हैं लेकिन लेकिन यह सुनी हुई बात एक अबूझ पहेली ही है क्योंकि वहां जैनी साधु रहते हैं। इस बार बटेश्वर मंदिर जाने के साथ ही समय मिलने पर सॉरी पुर मंदिर जाना हुआ वहां मंदिर में पूजा की लेकिन एक वहां पर बहुत ही अजीब चीज देखी वह थी वहां मंदिर में लगी पत्थर की शिला जिस पर मंदिर का इतिहास लिखा था यह मंदिर जैनियों के गुरु भगवान नेमिनाथ का मंदिर है और उससे लाभ पर नेमिनाथ जी का इतिहास वर्ड था उस पर एक ऐतिहासिक बात लिखी हुई थी कि नेमिनाथ भगवान श्री कृष्ण के चचेरे भाई थे और सॉरी पुर नेमिनाथ का जन्म स्थान है लेकिन अब यहां सिर्फ जंगल और घटिया है। सॉरी पुर जैन मंदिर जैन धर्म का एक तीर्थ स्थल है और दिगंबर जैन यहां पूरे देश से बड़ी संख्या में आते हैं सॉरी पुर बटेश्वर से 3 किलोमीटर दूर है और यह अंदर जंगल में जाकर है बटेश्वर में भगवान शिव के 101 मंदिर हैं यहां यमुना की धारा को इन मंदिरों की दीवार से मोड़ कर उसकी जल धारा की दिशा बदल दी गई है बटेश्वर स्थानीय हिंदुओं का बहुत पवित्र तीर्थ है वहीं सॉरी पुर जैन मंदिर भगवान नेमिनाथ की जन्म स्थली है यहां पर किसी समय एक बहुत बड़ा शहर था जो उनके पूर्वज राजा शूरसेन ने बताया था अब यहां सिर्फ जंगल ही जंगल है सॉरी पुर कि यह आज की स्थिति इस ओर इंगित करती है कि यहां एक बहुत ही उन्नत और बड़ी सभ्यता के अवशेष मौजूद हैं सॉरी पुर के आसपास फैले जंगल व यत्र-तत्र जंगल में बनी दीवारें देखने से पता चलता है कि यह सभ्यता बहुत ही विकसित थी और इस क्षेत्र या नगर का फैलाव एक बहुत बड़े क्षेत्र में था बटेश्वर मंदिर कहां पर है ऐसा प्रतीत होता है कि यह शहर का उत्तरी किनारा रहा होगा क्योंकि बटेश्वर के मंदिर जहां बने हैं उससे ऐसा लगता है कि यह एक बहुत बड़ी दीवार है जहां इन मंदिरों के सहारे यमुना की जलधारा मोड़ी गई है और यमुना नगर के तीन ओर से चक्कर लगाती हुई निकली है ऐसा माना जाता है कि बटेश्वर के मंदिर यहां के स्थानीय राजपरिवार ने बनवाए हैं लेकिन वैज्ञानिक रूप से विचार करने पर पता लगता है कि इस तरह की दीवारें प्राचीन सभ्यताओं जैसे हड़प्पा मोहनजोदड़ो आदि के किनारे भी हैं यह सभी सभ्यताएं नदियों के किनारे थी और नदियों का जल शहर में प्रवेश कर पाए इसलिए यह दीवारें बाढ़ की रोकथाम के लिए बनाई जाती थी दीवारों के किनारे बने घाट नहाने-धोने जानवरों को पानी पिलाने व शहर में पानी की सप्लाई का प्रबंध करने के काम आते थे हड़प्पा मोहनजोदड़ो चन्नू दलों की तरह ही यह नगर भी नदी किनारे यानी यमुना के किनारे बसा हुआ है इस पूरे क्षेत्र कि अगर खुदाई करवाई जाए तो एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक सभ्यता के बारे में पता चल सकता है साथ ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म का समय तथा महाभारत के समय का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है यह जगह पुराने समय में उपयोग होने वाली तकनीकों के बारे में रोचक जानकारी उपलब्ध करा सकती है। सॉरी पुर नगर 13 और यमुना नदी है जो कि एक मंदिरों की बड़ी दीवार लगाकर यमुना का रास्ता बदल कर किया गया है यानी कि नदी का एक बहुत बड़ा किनारा मानव निर्मित है और ऐसा भी कह सकते हैं कि नदी पर बनाया गया यह उस समय का बहुत बड़ा बांध भी हो सकता है और यहां भगवान शिव की पूजा होती है साथ ही ऐसा भी हो सकता है कि यह नगर व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र रहा हो और किस बंदरगाह पर बड़े-बड़े जहाज आकर रुकते होंगे इन जहाजों के माध्यम से यहां से सामान आस-पास के अन्य नगरों को भेजा जाता होगा या फिर दूसरे देशों को यमुना नदी के माध्यम से व्यापार होता होगा जिससे इस क्षेत्र में समृद्धि अधिक रही होगी। बटेश्वर और सॉरी पुर से थोड़ी दूर या कुछ किलोमीटर के बाद वाला इलाका बहुत उपजाऊ जमीन है इस पूरे इलाके को दोआब का हिस्सा माना जाता है इस क्षेत्र में तब भी फसल होती होगी और उसके अधिशेष व्यापार के माध्यम से निर्यात किया जाता था साथ ही यहां पर क्रय विक्रय के लिए मेला आग लगते होंगे क्योंकि बटेश्वर में पशुओं का मेला आज भी लगता है और कोई भी नहीं जानता कि यह मेला कब से लगता चला आ रहा है इस शहर का फैलाव काफी बड़े क्षेत्रफल में प्रतीत होता है क्योंकि सॉरी पुर से थोड़ी दूर पर रोपड़ में आज भी बड़ी-बड़ी दीवारें यत्र-तत्र खड़ी मिलती हैंwww.google.com

1 comment:

  1. https://www.alvitrips.com/शौरीपुर-बटेश्वर-श्री-दिग/

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